…अगर बुरा न लगे

नशीले नैन तुम्हारे, हमें मयखाना लगे।
मैं एक जाम चुरा लूं, अगर बुरा ना लगे।।

खुदा करे कि तेरे गेशुओं की छांवों में।
मैं एक शाम गुजारूं, अगर बुरा ना लगे।।

कमल की पंखुड़ी जैसे, रसीले होंठों पे।
खुमार अपना उतारूं, अगर बुरा ना लगे।।

मैं चाहता हूं, हमेशा, तुम्हीं में खोया रहूं।
तुम्हें आंखों में बसा लूं, अगर बुरा न लगे।।

होके मदहोश, सिमट जाऊं, तेरी बाहों में।
प्यार की पैंग बढ़ा लूं, अगर बुरा ना लगे।।
-विपिन शर्मा

Spread the love

6 thoughts on “…अगर बुरा न लगे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *