जहां लीलाएं करने स्वं, अवतरित हुए कृष्ण और राम।
हमारा है ये हिंदुस्तान, जान से प्यारा हिंदुस्तान।।
भारती माँ का स्वर्णिम चित्र, धरा यूँ महके जैसे इत्र।
यहाँ मीरा-राधा सी प्रीत, सुदामा-कृष्ण सरीखे मित्र।
जहां मंदिर के घंटो सँग, मस्जिदों से हो रही अज़ान।
यही है अपना हिंदुस्तान, जान से प्यारा हिंदुस्तान।।
जहां में अलग अनोखे ठाठ, बनारस के वो पावन घाट।
जहां पर सुबह-शाम सब लोग, करें बम बम भोले का पाठ।
जहां पर शहनाई की गूँज, छेड़ती हो इक मधुरिम तान।
वही है अपना हिंदुस्तान, जान से प्यारा हिंदुस्तान।।
ये है मरियम-सीता का देश, अलग भाषा-बोली परिवेश।
कहीं गुरुग्रंथ साहिब के पाठ, कहीं पर गीता के उपदेश।
जहाँ नदियों में मां का रूप, दिखें पत्थर में भी भगवान।
यही है अपना हिंदुस्तान, जान से प्यारा हिंदुस्तान।।
-विपिन कुमार शर्मा